Wednesday 10 April 2019

दीप था या तारा क्या जाने – अदा जाफरी ग़ज़ल

दीप था या तारा क्या जाने – अदा जाफरी ग़ज़ल

दीप था या तारा क्या जाने 
दिल में क्यूँ डूबा क्या जाने.
गुल पर क्या कुछ बीत गई है 
अलबेला झोंका क्या जाने.
आस की मैली चादर ओढ़े 
वो भी था मुझ सा क्या जाने.
रीत भी अपनी रुत भी अपनी
दिल रस्म-ए-दुनिया क्या जाने.
उँगली थाम के चलने वाला 
नगरी का रस्ता क्या जाने.
कितने मोड़ अभी बाक़ी हैं
तुम जानो साया क्या जाने.
कौन खिलौना टूट गया है
बालक बे-परवा क्या जाने.
ममता ओट दहकते सूरज 
आँखों का तारा क्या जाने. !!

1 Comments:

At 27 June 2019 at 09:55 , Blogger Unknown said...

Vry nice...bro

 

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