Sunday 7 April 2019

JAUN ELIA HINDI

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या 
तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या 

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ 
मुझ को अकसर भुला चुकी हो क्या 

याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें 
मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या 


अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं 

बस मुझे यूं ही इक ख़याल आया 
सोचती हो तो सोचती हो क्या 

अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं 
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या 

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! 
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे 

हां फ़ज़ा यां की सोई सोई सी है 
तो बहुत तेज़ रौशनी हो क्या 

मेरे सब तंज़ बे-असर ही रहे 
तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या 

दिल में अब सोज़-ए-इंतिज़ार नहीं 
शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो क्या 

इस समुंदर पे तिश्ना-काम हूं मैं 
बान तुम अब भी बह रही हो क्या 


हर शख़्स से बे-नियाज़ हो जा
फिर सब से ये कह कि मैं ख़ुदा हूँ 

सब मेरे बग़ैर मुतमइन हैं 
मैं सब के बग़ैर जी रहा हूँ 

क्या है जो बदल गई है दुनिया 
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ 

गो अपने हज़ार नाम रख लूँ 
पर अपने सिवा मैं और क्या हूँ 

जो गुज़ारी न जा सकी हम से 
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है 

ज़ख़्म-हा-ज़ख़्म हूँ और कोई नहीं ख़ून का निशाँ 
कौन है वो जो मेरे ख़ून में तर है मुझ में 

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने 

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस 
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं 

क्या सितम है कि अब तेरी सूरत 
ग़ौर करने पर याद आती है 

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ 
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या 

- जॉन एलिया 

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