Tuesday, 13 August 2019

TWO LINES SHAYRI SAKLAIN ABBAS JAFRI


दुनिया बड़ी जालिम है हर बात छिपानी पड़ती है
दिल में दर्द होता है फिर भी होंठो पर हंसी लानी पड़ती है
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो
सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं...
मुस्कान भरे चेहरे के पीछे कितनी तड़प कितनी आग है
एक शायर कहीं छिपा हुआ था चेहरा दिखाया आज है
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।
सितम ये है कि हमारी सफों में शामिल हैं,
चराग बुझते ही खेमा बदलने वाले लोग।


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