1- अब मुझको नींद नही आती है रातो को।।
चिराग़ बुझते ही एक जुगनू बैठ जाता है आंखों पे।।
2-रहते है दोनों आमने सामने एक उम्र से।।
पर कभी एक न हो सके ये ज़मीन ये आसमाने।।
3-उलझा उलझा रहता हूं।
पता नही अब मैं कैसे जीता हूं।।
4-बहुत दूर उड़ चुका है वो परिंदा।।
जो पिंजरे से गलती से उड़ गया था।
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